कोरोना- एक उपकार

ऐ रास्ते बता सुकून मिला ना तुझे
बताना क्यों खामोश है तू मुझसे
ना अब वो गाडियां है जो तुझपे सवार हुआ करती थी
ना ही वो सरसराहट पैरो की जो तुझे नींद से जगा दिया करती थी
सो रहा है ना चैन से आज तू
तन्हा अकेला थका हुआ है ना तू
चल जा करले आराम तू
अब ना करने वाला कोई परेशान तुझे
ऐ रास्ते बता सुकून मिला ना तुझे
तेरा सन्नाटा बता रहा है खुशहाल है तू
तेरी चमक बता रही है ज़िंदा है तू
चल जा करले मोज ज़िंदगी की
बस कुछ ही पल का है सुकून यह तेरा
फिर होंगी चहचहाहट बातों की
होंगी सब तरफ़ गाड़ियों के हॉर्नो की आवाज़
इधर चाय वाला उधर रिक्शा वाले भईया जी
गूंजेगी मंदिर की घंटियां होंगी अज़ान भी
सब होगा पहले जैसा
अभी करले थोड़ा आराम तू
फिर कहां पा पाएंगा सुकून तू
ऐ रास्ते बता सुकून मिला ना तुझे

Madiha

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1 Comment

Madiha · October 8, 2020 at 15:16

Nice piece of imaginary.

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