Chanchal Mann Banaam Antarman
चंचल मन कहता है ,
थोड़ा मुस्कुरा तू दो पल की ही तो जिंदगी है ,
इसको थोड़ा प्यार मोहब्बत में या थोड़ी मौज मस्ती में बिता तू ।
देख ये दुनिया कितनी रंगीन है पर ,इसमे तू क्यों इतना गमगीन है ,
क्या हुआ जो हार गया इस सोंच में फेर बदल कर तू ,
अपने झखमो को सी के इस दुनिया मे मिल तू ,
आधा नहीं पूरा खिल तू ,
दो पल की ही जिंदगी है , इसको खुल के जी तू ।
पर अंतर मन कहता है ,
रुक थोड़ा ठहर ,
खुद के अंदर झांक तू ,
खुद से भी कर बात तू ,
बैठ कभी अकेले में ,
खुद को अब संवार तू ,खुद को अब निखार तू ।
गलत पे हामी भरता क्यों है, इकला चलने से डरता क्यों है ,
इस पथ पर अनेको सूल हैं , धाराएं प्रतिकूल हैं,
इनको कर पार तू ,बन जा एक मिसाल तू ,
इस तरह खुद को संवार तू ,इस तरह खुद को निखार तू ।
तू तो अभी गुमनाम है , क्या तेरा यही मुकाम है ,
इस गुमनामी को चीर तू , बन जा इतना वीर तू ,
बन चिराग तू दर्शित कर , समाज के अंधकार को ,
इस तरह खुद को संवार तू इस तरह खुद को निखार तू।
इस देश मे तू जन्मा है , इस देश का है लाल तू ,
इस मिट्टी में तुमने खेला है , इस मिट्टी में तुमने सीखा है ,
इस मिट्टी का तुझपे कर्ज़ है , इस कर्ज़ को तुझे चुकाना है ,
इस फ़र्ज़ को तुझे निभाना है ,
इस तरह खुद को संवार तू इस तरह खुद को निखार तू ।
दो पल की ही तो ज़िन्दगी है ,
इसे प्यार मोहब्बत या मौज़ मस्ती में बिता तू ,
या तो खुद को संवार तू या खुद को निखार तू ।
Nagendra Pratap Singh
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28 Comments
Priyanka · January 5, 2022 at 20:04
Nice line
Nisha tiwari · January 5, 2022 at 19:55
The rhythm of your lines spaces is great and and I wish it was longer.
Utkarsh · January 4, 2022 at 19:52
Fab lyns bhaiya…❣️
Nagendra · January 5, 2022 at 11:21
Thanks utkarsh