बचपन के वो दिन बहुत याद आते है
कंधे पे लाधे बस्ते वो रास्ते याद आते है
वो छोटी छोटी बातों पे हँसना रोना
वो बार बार अब्बा और कट्टी होजना
अंघुटे से नाराज़गी का ज़ाहिर करना
और बात बात पर शोर मचाना
सच में सब याद आता है ,बहुत याद आता है
कक्षा में देर से पहुँचने पर बाहर खड़ा होना
अध्यापक के ग़ुस्सा करने पर मासूम बन जाना
घंटी बजने से पहले ही खाना खा लेना
और एक रुपए की चीज़ ख़रीद मज़े उठाना
ये सब याद आता है , बहुत याद आता है
छुट्टी के वक्त तेज़ी से भागना
और बस में चढ़कर दोस्तों के लिए जगह रोकना
वो खुली खिड़की से हवा का छूना
चेहरे पर लम्बी सी हँसीं लिए अपनी धुन में मगन रहना
सब याद आता है बहुत याद आता है
वो बसअड्डे से उतरकर भाई से लम्बी दोड लगाना
और घर जाते ही बस्ते और जूतों को इधर उधर गिराना
फिर माँ का हम पर चिल्लाना
और डाँटकर प्यार से हमें खाना खिलाना
सब याद आता है बहुत याद आता है
वो बचपन था , बेफ़िक्र था
आज समझ है , फ़िक्र है
वो दोस्त जो मेरे दिल से अपने थे
आज उनका बदलजाना
वो आसान सा सीधा रास्ता
ना छल कपट का वास्ता
आज हमें फ़िक्र है
कल हसीन राज़ था
वो उम्र बहुत ख़ास थी ये उम्र बहुत ख़ास है
इस उम्र के फ़ासले में सूझ बूझ की मात है
वो याद कुछ ख़ास थी ये आज कुछ नायाब है
वो बचपन मेरा प्यारा था ये आज संकोच पर आधारित है
बचपन में यूही मुस्कुरा दिया करते थे
आज उस हँसीं का इंतज़ार है
कल कुछ ख़ास था मेरा
आज कुछ नायब है
वो सब याद आता है बहुत याद आता है
बचपन मेरा और आज की भागदौड़ में
मेरा बेचारा दिल थोड़ा नासाज़ है
ये उम्र का फेर बदल एक अंक नही कुछ ख़ास है
कल भी मेरा था आज भी मेरा है
थोड़ा अलग अनजान सा फेर बदल है
लेकिन तजुर्बेकार है
कल भी ख़ास था मेरा आज कुछ रोमांच है
ये उम्र का फेर बदल
बस अंक नही एक याद है
खट्टी मीठी यादों से भरा मेरा कल
आज सपनो का आग़ाज़ है
मुझे सब याद है
वो उम्र बचपन की ये उम्र आज की
अंतर बहुत आसान है
बेफ़िक्र और फ़िक्र का ये मिलन एक ख़ास है
Varsha Singh Tomar
Follow her at @paakeezaa
Click here to check out posts of other contestants.
0 Comments