याद तू आई है

सांसे थमनें लगीं हैं याद तू आई है
आंसू हैं भीगी सी पलकों पे सुनी सी तन्हाई है ।।
याद आए दिन वो हवाओं के..आई थी तुम शाम में..
ठहरा था लेकर मैं राहों में..अरमां तेरे नाम के..
झुकती निगाहों से देखा जो तूने..दब्बी सी हंसी से मैं पागल हुआ..
यूं तो खुदा से भी मांगा ना मैंने ..तू बन गई मेरे लब की दुआ..
तेरे लिए ही तो आया था चलके.. मेरे लिए ही तो तू आई है..
सांसे थमनें लगीं हैं ..याद तू आई है
आंसू हैं भीगी सी पलकों पे ..सुनी सी तन्हाई है ।।

तुझसे जूड़ा जैसे तेरा ही था..मैं पानी तू जैसे किनारा हूई..
बिखरा था मै संभल सा गया.. टूटे हुए का सहारा हुई..
हंसके गले से लगाया जो तूने..सीने में तेरे जगह मिल गई..
कसके वो खुद से लगाया जो तूने.. सांसों को मेरी पनाह मिल गई..
अब साया हूं तेरा ना छोडूंगा तुझको.. तू भी तो मेरी ही परछाई है..
सांसे थमनें लगीं हैं ..याद तू आई है
आंसू हैं भीगी सी पलकों पे ..सुनी सी तन्हाई है ।।

आयी वो रात लौटना मुझको था..आँखों में तेरे नमी आ गई..
रखलों” यहीं” बोलना तुझको था..लफ़्ज़ों में मेरे कमी आ गई..
“फिर आऊं” वादा यहीं कर रहा था..दिल में बस्सी तेरी तस्वीर को ..
“ना जाऊं” आहें ये दिल भर रहा था..कोसा बड़ा मैंने तकदीर को..
मैं तेरा तू मेरी बिछड़ें क्यों एैसे.. खुदा जाने क्यों ये घड़ी आई है..
सांसे थमनें लगीं हैं ..याद तू आई है
आंसू हैं भीगी सी पलकों पे..सुनी सी तन्हाई है ।।

बैठा हूं घर कोने दीवार के..शिकवे लिए लकीरों से मैं..
रखूं भरोसा इस प्यार पे..या छिनू तुझे तकदीरों से मैं..
ज़िद्द है तेरे संग ही जीना है मुझको..डर है तेरे बिन मैं मर जाऊंगा..
तेरे ही दामन में रहना है मुझको..तेरे बिना मैं किधर जाऊंगा..
दुनिया का क्या है खुदा से भी लड़ लूंगा..पाने की तुझको कसम खाई है..
सांसे थमनें लगीं हैं..याद तू आई है
आंसू हैं भीगी सी पलकों पे..सुनी सी तन्हाई है ।।

बीते जो दिन हुआ कमज़ोर मन..कुछ भी करूं तुझको पा ना सकूंगा..
है ये सही थामलूं अब कदम..घर अपने तुझको मैं ला ना सकूंगा..
वैसे भी था बोझ कब से ही तुझ पर..कर दूं रिहा तुझको ख्वाबों से मैं
जा दिल से रुक ना ज़रा भी यहां पर..कर दूं विदा तुझको यादों से मैं
तंग हूं बड़ा अब तेरी आदतों से..क्यों जान मेरी यूं तड़पाई है..
सांसे थमनें लगीं हैं..याद तू आई है
आंसू हैं भीगी सी पलकों पे..सुनी सी तन्हाई है ।।

फिर एक दिन एसी आई सुबह..भूला सबब मैं तेरी राहतों का..
जा दूर जा तू है “बेवफ़ा”..कर डाला खुद ही क़त्ल चाहतों का..
सच ये खुद को खत्म कर दिया..आंसू लहू के ज़बर पी रहा हूं..
दिल ने धड़कना ही बंद कर दिया है..सांसें नहीं फिर भी मैं जी रहा हूं..
होकर फनाह ख़ाक बन जाना जल्दी ही..खुद ने ही खुद से सज़ा पाई है..
सांसे थमनें लगीं हैं..याद तू आई है
आंसू हैं भीगी सी पलकों पे..सुनी सी तन्हाई है ।।

Nirmal Dhwaria

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