ये रीति रिवाज दुनिया के
ये खोखली रिवायतें
मुझे कभी समझ ही नहीं आए
अलग तो नहीं हूं
इस दुनिया से पर अलग जरूर सोचती हूं
एक पल को शांत जैसे बहता नीर
दूसरे पल को बवाल जैसे जलती आग
तभी शायद कुछ लोगो को तंग कर जाती हूं
ये रीति रिवाज दुनिया के
ये खोखली रिवायतें
मुझे कभी समझ ही नहीं आए
हर फैसले में मैंने अपने दिल की सुनी
फैसला गलत था या सही
कभी अफसोस ना किया
तालीम बक्शी है इन सही गलत फैसलों ने मुझे
लड़की हो जोर से हंसना गुनाह है
लडको से दोस्ती करना गलत है
बचपन के यादों में ये पाबन्दियां आज भी ताज़ा है
तभी शायद कुछ लोगो को तंग कर जाती हूं
ये रीति रिवाज दुनिया के
ये खोखली रिवायतें
मुझे कभी समझ ही नहीं आए
जाने कितनी बुलंद रूहें दब गई
इस समाज की पाबंदियों में
बस फर्क इतना है कि उन्होंने पिंजरे में रहना मंजूर किए
और मैंने आज़ाद पंछी सा उड़ाना
तभी शायद कुछ लोगो को तंग कर जाती हूं
ये रीति रिवाज दुनिया के
ये खोखली रिवायतें
मुझे कभी समझ ही नहीं आए
Harshita Dhiman
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1 Comment
Alka panchal · October 7, 2020 at 22:55
👍