Ek Kahani (facebook & lockdown)

फेसबुक.. (कहानी)

महा कर्फ्यू और उसके बाद लॉकडाउन लग चुका था! सब लोग खतरनाक वायरस के डर से घर में बैठे थे! तरह तरह की अफवाहों का जोर था!कोई किसी से ना मिले,किसी को न छुएं, यहां तक कि हवा में भी वायरस होने के कयास लगाए जा रहे थे!
दैनिक वेतन,भोगी खोमचे वाले,रेहड़ी लगाने वाले, दैनिक वर्कर,झुग्गी झोपड़ी वाले,धार्मिक स्थलों पर आश्रित भिखारी इत्यादि अत्यधिक निर्धन वर्ग का क्या होगा! रोज की आय से जीवन यापन करने वाले इस तबके के प्रति सामाजिक संवेदना बढ़ती जा रही थी! अंतिमा भी द्रवित थी!अपने स्तर पर उसने हर मांगने वाले व्यक्ति और संस्था को कुछ ना कुछ गुप्त दान देने का प्रयास किया भी था लेकिन घर से निकल कर उनकी मदद को जाने का साहस उसमें नहीं था! इसलिए वह नतमस्तक थी.. उन लोगों के प्रति जो ऐसी विकट परिस्थिति में,वंचित लोगों को भोजन, दवाइयां आदि बांटने का काम कर रहे थे! उसकी पड़ोसी अपूर्वा भी जोरशोर से सहायता के काम में लगी थी!अनेकों बार अंतिमा ने अपनी खिड़की से झांक कर देखा था कि अपूर्वा पूरी तरह से फेस, हाथ कवर करके खाने के सामान के पैकेटों के साथ जाती दिखी थी! शायद, वह किसी संस्था से जुड़ी थी..क्योंकि जब सबके घरों में सन्नाटा पसरा था तब भी उसके गेट पर कुछ लोगों की आवाजाही होती थी! खैर!जो भी हो, इसी कारण अंतिमा मन ही मन अपूर्वा का बहुत सम्मान करती थी और फेसबुक पर उसे लाइक और शेयर करने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी! यही नही उसने अपने सभी दोस्तों को भी अपूर्वा के बारे में बता कर लाइक और शेयर करने के लिए कहा था! कभी-कभी तो उसे स्वयं पर शर्मिंदगी भी महसूस हुई कि वह इस समय अपने घर में छुप कर बैठीे हुई है और समाज के लिए कोई विशेष योगदान नहीं कर पा रही है!
लॉकडाउन लगे काफी समय बीत चुका था! अंतिमा कुछ दिनों से नोटिस कर रही थी कि अपूर्वा की गरीबों की मदद करती कोई पोस्ट फेसबुक पर नहीं आ रही थी!
यही नहीं उसका स्कूटर भी इन दिनों घर में ही खड़ा दिख रहा था!यानी…वो कहीं आ जा नहीं रही थी! “कहीं.. अपूर्वा बीमार तो नहीं हो गई!”अंतिमा का मन सशंकित हो उठा!कहीं उसे….. नहीं!नहीं!उसने अपने मन को झटका दिया!
ऐसे दयालु ह्रदय वाले व्यक्ति को कुछ नहीं हो सकता! अंतिमा ने स्वयं को दिलासा दी! अब कोई पड़ोसी किसी के घर तोआ-जा नहीं रहा था! हाँ! कभी कभार कोई शाम को गली में ही टहलने निकल पड़ता या एकआध बच्चा जबरदस्ती घर से निकल जाता तो अलग बात थी! “चलो…कोई यदि दिखाई देता है तो पूछूंगी उसके बारे मे…”अंतिमा ने मन ही मन सोचा!
अंतिमा की रसोई की खिड़की से अपूर्वा का मेन गेट दिखाई देता है तो जब भी अपूर्व रसोई में गई उसने एक बार अपूर्वा की गेट की ओर जरूर नजर दौड़ाई शायद कोई हलचल दिखाई दे! सारा दिन यूं ही निकल गया! शाम को जब अंतिमा रसोई में चाय बना रही थी..तो अचानक उसने देखा..कि अपूर्वा का 10 वर्षीय बेटा बबलू गेट से अपनी साइकिल निकाल रहा है! “अच्छा!तो आज बबलू साइकिल चलाने आ रहा है..चलो इससे अपूर्व का हाल पूछती हूं”अंतिमा ने फटाफट अपना दुपट्टा लिया और बाहर आ गई अरे,बबलू बेटा!अरे वाह! आज तो बड़े दिन बाद साइकिल चलाने निकले हो! अंतिमा ने भूमिका बांधने का प्रयास किया!
हां आंटी!क्या करूं!मम्मी निकलने नहीं देती! आज तो मम्मी सो रही है,तो मैंने सोचा कि चलो साइकिल के फटाफट दो चक्कर लगा कर आता हूं! बबलू
जल्दी -जल्दी बोला!
अच्छा-अच्छा!तो मम्मी आज घर पर ही है!
अरे बबलू! बड़े दिन से तुम्हारी मम्मी फेसबुक पर भी नहीं दिखी..पहले तो रोज ही गरीबों को खाना दवाइयां आदि बाँटते उनकी पोस्ट दिख जाती थी! तबीयत तो ठीक है ना उनकी! अंतिमा ने चिंता जताई!
अररे आंटी! वो तो मम्मी पापा से कह रही थी कि..” “ये भी कोई बात हुई..कि भई,अब गरीबों को खाना बाँटते समय उनकी फोटो खींचकर फेसबुक पर नहीं डाल सकते! सरकार भी जब देखो ‘तुगलकी’ आदेश निकाल देती है! जब फोटो ही नहीं खींच सकते तो अब भला कोरोनाकाल मे इतना रिस्क कौन ले!” इसीलिए आजकल मम्मी घर में ही रह रही है!
क्या?? अंतिमा अवाक रह गई! उसके हृदय में बैठी अपूर्वा की दयालु मूरत छन्न से बिखर कर टूट गई!
क्या सोचा था..क्या निकला!

स्वरचित
Anju Agarwal ‘लखनवी’

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