Mera Sab Tum Ho

अनकहे से जज़्बात तुम हो,
मेरी कविताओं की पुकार तुम हो।
इन सर्द हवाओं की ठिठुरन में,
गुनगुनी धूप सा एहसास तुम हो।

आसमान पर फैले इन्द्रधनुष,
जैसे प्रेम जताये जाने के,
तुम्हारे हजार तरीके हो।
और ये हवाओ की सरसराहट,
मानो मेरे रूठ जाने पर,
तुम्हारे बार बार मनाने वाले शब्द हो।

Pragya Shukla

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