नारी
आखिर कौन है नारी,
जिस से चलती है दुनियादारी,
देवी बना पूजती है दुनिया सारी,
आखिर कौन है ये नारी?
जो भ्रूण में ही मार दी गयी क्या वो नहीं थी दुलारी,
जिसकी असमत पर प्रहार हुआ भारी,
जो दहेज से परेशान फिरती है मारी मारी,
क्या वो नहीं थी नारी?
जो माँ ना बन सके तो अधुरी गयी पुकारी
विवाह के बाद जो मायके में नहीं रही हमारी,
जिसका रंग साँवला वो नहीं लगी किसी को प्यारी,
क्या ऐसी होती है नारी?
नहीं,
जो अंतरिक्ष में पहुँचे,
प्रेम के जल से घर को सिचे,
जिसके प्यार से सबका मन पसीजे,
वो है नारी।
जो खडी हो हर सफलता के पीछे,
जो कदम से कदम मिला इस समाज को जीते,
साहस का काजल हो जिसकी पलकों के नीचे ,
वो है नारी।
जो काली रुप में पड़े दुष्टों पर भारी,
जिसका हर रुप है ईश्वर की चित्रकारी,
जो रखती है ताकत बदलने की दुनिया सारी,
हाँ यही है नारी,यही है नारी।।
Priyanka Bajaj
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