यूँ तो बहुत मुस्कुराती हूँ मैं
ना जाने कितने दर्द छुपाती हूँ मैं
कहना बहुत कुछ है पर कुछ कह नहीं पाती मैं
पापा को गले लगा के रोना चाहती हूँ मैं
यूँ तो बहुत मुस्कुराती हूँ मैं
आज भी जब उसकी बातें याद आती हैं
आँखों से बरसात हो जाती है
खुद को संभालना चाहती हूँ मैं
पर संभाल नहीं पाती हूँ मैं
यूँ तो बहुत मुस्कुराती हूँ मैं
उसकी यादों का साया जकड़े है मुझे
उन यादों से पीछा छुडाना चाहती हूँ मैं
चाहे अन्चाहे हर रोज एक नयी मौत मरती हूँ मै
यूँ तो बहुत मुस्कुराती हूँ मैं
उसकी बातों ने बहुत जख्म दिये मुझे
अंदर तक छलनी कर दिया मूझे
आज भी उन बातों को याद करके तड़प जाती हूँ मैं
यूँ तो बहुत मुस्कुराती हूँ मैं
मेरे अंदर दर्द का तूफान है
उस तूफान को बाहर निकालना चाहती हूँ मैं
फूट फूट के रोना चाहती हूँ मैं
यूँ तो बहुत मुस्कुराती हूँ मैं
बहुत सपने देखे थे उसके साथ
उन सपनों को भूल जाना चाहती हूँ मैं
पर उसको भूल नहीं पाती हूँ मैं
यूँ तो बहुत मुस्कुराती हूँ मैं
छोटी सी उमर मे बहुत कुछ सीख लिया
पापा जो कहते थे वो सब सही साबित हो गया
कोई किसी का नहीं होता इस जमाने मे
ये बात अब समझ पाती हूँ मैं
यूँ तो बहुत मुस्कुराती हूँ मैं
सबके साथ खुश होने का दिखावा करती हूँ मैं
पर चाह के भी खुश नही हो पाती हूँ मैं
जीना चाहती हूँ अपनी जिंदगी
पर जी नही पाती हूँ मैं
यूँ तो बहुत मुस्कुराती हूँ मैं
ना जाने कितने दर्द छुपाती हूँ मैं
Shreya Sinha
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